लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2023 "हा मैं स्त्री "

1 Part

282 times read

27 Liked

 "हाँ मैं स्त्री" मैं स्त्री...  कभी हंसती कभी रोती,  कभी सारे ग़मों को बांधती आंचल में...  और माथे पर शिकन के सारे दाव पेंच खेलती,  तू जीत को अपनी कमर पर ...

×